अष्टाध्यायी सूत्र पाठ भारतीय व्याकरण का मूल ग्रंथ है। इसे पाणिनि ने लिखा था और यह संस्कृत भाषा में लिखा गया है। यह ग्रंथ संस्कृत व्याकरण के नियमों, सिद्धान्तों, और व्याकरणीय विषयों को समझाने के लिए लिखा गया है। इस ग्रंथ के मुख्य भाग 8 अध्यायों में विभाजित होता है, जिनमें अलग-अलग विषयों पर बहुत से सूत्र होते हैं। अष्टाध्यायी सूत्र पाठ में भिन्न-भिन्न विषयों को समझाने के लिए अलग-अलग विधियों का प्रयोग किया जाता है। इन विधियों में से कुछ निम्नलिखित हैं:
सूत्राधार – सूत्रों को याद करने के लिए उपयोगी तकनीक है। इसमें सूत्रों के पहले शब्दों को स्मरण करने के लिए सहायता मिलती है।
वार्तिक – सूत्रों की समझ को आसान बनाने के लिए बनाए गए टिप्पणियां होती हैं। ये विस्तार से विवरण देते हैं और सूत्रों के अर्थ को स्पष्ट करते हैं।
Pages | 102 |
Files Size | 400KB |
Auther | Paninimuni |
Categories | Sanskrit Grammer |
Language | Sanskritam |
Source | archive.org |