Bhadrasooktam Download Free PDF

भद्रसूक्त में ऋषि ईश्वर के धन्यता को घोषित करते हैं और उनकी सर्वशक्तिमानता और विश्वास्मानता की प्रशंसा करते हैं। यह मंत्र सुख, शांति, समृद्धि और विश्वशांति की कामना करता है।

यहां भद्र सूक्त का एक अंश है:
भद्रं कर्णेभिः श्रृणुयाम देवाः।
भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवागं सस्तनूभिः।
व्यशेम देवहितं यदायुः॥

अर्थ:
ओ देवताओं, हमें भद्र कर्णों से सुनाओ।
हम भद्र नेत्रों से देवताओं को देखें।
हम आपकी प्रशंसा करें और आपकी शरीर, वाणी और जीवन के साथ बातचीत करें।
हम देवताओं के हित की ओर जाएँ॥

यह मंत्र शुभता, सुरक्षा और दिव्यता के लिए प्रार्थना करता है और सभी को धर्मप्रिय जीवन जीने का प्रेरणा देता है।
भद्र सूक्त को विभिन्न संस्कृत भाष्यों और टीकाओं में व्याख्यान किया गया है। इन टीकाओं में मंत्र के अर्थ, भाषा और धार्मिक अभिप्रेति के विविध पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की जाती है।

 Pages 2
 Files Size 4.7MB
 Auther/Publisher Shukla Yajurveda / stotracollection.com
 Categories Sooktam
 Language Vaidik Sanskrit
 Source link Hare