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Sanskrit Pustakalaya

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  • 16 Sanskar Vidhi
  • 18 Puranas
  • Veda
Sanskrit Pustakalaya

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प्राचीन गुरुओं ने अपनी-अपनी शिक्षाओं को अपने विद्यार्थियों तक पहुंचाया था। इन गुरुओं ने अपने जीवन के अनुभवों, वेदों और उपनिषदों के आधार पर अपने विचारों को समझाया था। इस प्रकार वे आध्यात्मिक संस्कृति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
  1. महर्षि व्यास: "वसुधैव कुटुम्बकम्" - संसार के सभी मनुष्य एक ही परिवार के सदस्य हैं।
  2. महर्षि वाल्मीकि: "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी" - माता-पिता और देश उससे भी ऊपर होते हैं जो स्वर्ग से भी बढ़िया होते हैं।
  3. भगवान राम: "धर्म की जीत होगी" - धर्म जीतेगा।
  4. भगवान कृष्ण: "कर्म करो फल की चिंता मत करो" - कर्म करते रहो, फल की चिंता मत करो।
  5. महर्षि पतंजलि: "योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः" - योग हमारी मन की वृत्तियों को निरोध करता है।
  6. स्वामी विवेकानंद: "उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य नहीं प्राप्त हो जाता है" - उठो, जागो और लक्ष्य को हासिल करने तक नहीं रुको।
  7. संत कबीर: "माला तो करे जपत उड़ी मुट्ठी नहीं आवे" - मन को एकाग्र रखने के लिए माला जप करने से फायदा नहीं होता।
  8. संत तुलसीदास: "राम नाम जपते रहो, काम करो फल की चिंता मत करो" - राम नाम जपते रहो, काम करते रहो, फल की चिंता मत करो।
  9. संत गौतम बुद्ध: "जीता वही है जो अपने मन को जीते" - जीता वही है जो अपने मन को जीतता है।
  10. स्वामी चिन्मयानंद: "आपके शब्द आपके जीवन को दर्शाते हैं" - आपके शब्द आपके जीवन की उन्नति को दर्शाते हैं।
  11. संत कबीर: "काम बुद्धि हीनों को होता है, बुद्धि वालों को नहीं" - काम बुद्धि हीन लोगों को होता है, बुद्धि वालों को नहीं।
  12. स्वामी विवेकानंद: "ज्ञान सबसे बड़ा धन है" - ज्ञान सबसे बड़ा धन है, इसे प्राप्त करो।
  13. संत कबीर: "पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय। ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।
  14. श्रीमद भगवद गीता: "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" - कर्म करने में तुम्हारा अधिकार है, लेकिन फलों का नहीं।
  15. स्वामी विवेकानंद: "जो इच्छाएँ हमारे मन में उठती हैं, वही हमारे संघर्ष का मूल होता है" - जो इच्छाएं हमारे मन में उठती हैं, वही हमारे संघर्ष का मूल होता है।
  16. संत तुलसीदास: "जो सत्य कहते हैं उन्हें हमेशा विजय मिलती है" - जो सत्य कहते हैं, उन्हें हमेशा विजय मिलती है।
  17. संत कबीर: "बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। जो मन खोजा अपना, तो मुझसे बुरा न कोय" - मैं बुराई देखने
  18. निकला, पर कोई बुरा नहीं मिला। अपनी मन की खोज में जो मैंने की, मुझसे बुरा न कोई।
  19. स्वामी विवेकानंद: "शिक्षा के बिना जीवन अधूरा है" - शिक्षा के बिना जीवन अधूरा है, शिक्षा प्राप्त करो।
  20. संत गुरु नानक: "वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह" - वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह।
  21. स्वामी विवेकानंद: "उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य न प्राप्त हो जाये" - उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य न प्राप्त हो जाये।
  22. संत कबीर: "मानस खचु जीवन गोल, काल तहे बैठा धनि होल" - मानस खचु जीवन गोल, काल तहे बैठा धनि होल।
  23. संत तुलसीदास: "राम नाम मंत्र जपत सब सुख फल पावता। जाके मन विषय विकार मय संसार छल छिद्र दिखावता॥" - राम नाम मंत्र जपने से सब सुख फल प्राप्त होता है। जिसका मन विषयों में उलझा होता है, उसे माया का संसार छल-छिद्र दिखलाता है।
  24. स्वामी विवेकानंद: "जब तक हम आध्यात्मिक जीवन को नहीं जानते, तब तक हम समस्त जगत को नहीं जानते" - जब तक हम आध्यात्मिक जीवन को नहीं जानते, तब तक हम समस्त जगत को नहीं जानते।

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