पातञ्जल योगदर्शन
पातञ्जल योगदर्शन (Yogadarshana) संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है “योग का दर्शन” या “योग की दृष्टि”. यह एक प्राचीन भारतीय दर्शन है जो मन, शरीर और आत्मा के संयोग के माध्यम से संपूर्ण व्यक्तित्व का संतुलन और विकास प्राप्त करने की विधि पर आधारित है। योगदर्शन में योग को एक व्यापक और पूर्णतावादी दर्शन माना जाता है, जो मन, शरीर और आत्मा के एकीकरण को समर्थन करता है। योगदर्शन का मूल रचयिता महर्षि पतञ्जलि माना जाता है, जिन्होंने “योगसूत्र” किताब लिखी है। योगसूत्र एक संक्षेप में योग के सिद्धांतों, मार्गों और साधनाओं को समेटती है। योगसूत्र के अनुसार, योग के आठ अंग हैं: यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। ये अंग व्यक्तित्व के समाधान और स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए समग्र विकास के माध्यम हैं।
Pages | 551 |
Files Size | 36.00MB |
Auther/Publisher | Patanjali Muni |
Categories | Yogdarshan |
Language | Hindi. Sanskrit |
Source link | Hare |