रुद्री का पाठ शिव पूजा और अनुष्ठान के समय किया जाता है। इसे वेद मंत्रों का एक संकलन माना जाता है और यह भगवान शिव की प्रशंसा, आराधना और स्तुति का महत्वपूर्ण अंग है। रुद्री पाठ को संस्कृत में पढ़ा जाता है, और यह वैदिक साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो शिव भक्ति और पूजा में उपयोगी होता है। रुद्री पाठ में कई मंत्रों का समावेश होता है, जिन्हें विभिन्न अवतारों और स्वरूपों में भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया गया है। इसके पाठ के द्वारा भक्त भगवान शिव की कृपा, आशीर्वाद और संरक्षण का अनुरोध करता है। रुद्री एक हिंदी शब्द है जो संस्कृत शब्द “रुद्र” से बना हुआ है। रुद्र वेदिक साहित्य में एक महत्वपूर्ण देवता है जिसे शिव भी कहा जाता है। रुद्र को भयंकर और महानतम देवता माना जाता है जो समस्त ब्रह्माण्ड का संहार और सृष्टि करने की शक्ति रखता है। उन्हें विष्णु, ब्रह्मा और इंद्र के साथ त्रिमूर्ति भी माना जाता है। रुद्री शब्द का अर्थ होता है ‘रुद्र की स्तुति’ या ‘रुद्र का गान’। इसे भगवान शिव की महिमा, शक्ति और भयानक स्वरूप की प्रशंसा के लिए उपयोग में लाया जाता है। रुद्री शब्द का उपयोग विशेष रूप से शिव जी के प्रशंसापाठ और आराधना के दौरान किया जाता है। रुद्री के प्रमुख रूपों में से एक है ‘रुद्री पाठ’ जिसे रुद्री सूक्त (Rudri Sukta) के नाम से भी जाना जाता है। यह वैदिक साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्तुति है जो भगवान शिव की महिमा, गुण और शक्तियों का वर्णन करती है। इस बुक में प्रारंभिक कर्मकांड का शिक्षा खास कर बच्चो या जो कर्मकांड में सीखना चाहते है उनके लिए है।
Pages | 145 |
Files Size | 1.4MB |
Auther/Publisher | Nepal Gov |
Categories | Karmakanda |
Language | Sanskritam |
Source link | Hare |