बच्चे को स्कूल कब शुरू करना चाहिए, इस बारे में पारस्कर गृह्यसूत्र भी मौन है। कुछ ग्रन्थों में यह भी कहा गया है कि वेदारंभ को विद्यारंभ मानना चाहिए और उसका पालन उपनयन संस्कार पश्चात करना चाहिए। हालाँकि, अक्षरों को जाने बिना वेद मंत्र को पढ़ना संभव नहीं है, और उपनयन के बिना वेद मंत्र में अधिकार नहीं है, इसलिए मैं विद्यारम्भा को अक्षरारम्भ के संस्कार के रूप में लेना उचित समझता हूँ। उपनयन में वेदारंभ की विधिवत् प्रक्रिया तो उपनयन के वाद होता है वेदारम्भ दुसरा संस्कार है । बालकके पाँचवें वर्षमें उसका विद्यारम्भ-संस्कार करना चाहिये अर्थात् उसे अक्षरोंका ज्ञान कराना चाहिये।
Pages | 9 |
Files Size | 8.6MB |
Auther/Saurce | stotracollection.com |
Categories | 16 Sanskar Vidhi |
Language | Sanskrit , Hindi |
Source link | Hare |